Driving test track:हिमाचल प्रदेश के मंडी में बनेगा प्रदेश का पहला ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक, सीसीटीवी से रहेगी नजर।

मंडी में हिमाचल का पहला ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनेगा। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। मंडी सदर प्रशासन इस ट्रैक के लिए औपचारिकताएं पूरी कर रहा है। सदर प्रशासन भूमि की तलाश कर रहा है। फिलहाल खलियार में इसके लिए भूमि देखी गई है, लेकिन अभी तक इस पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है। इसके अलावा अन्य जगह में भी भूमि की तलाश की जा रही है।बड़े शहरों की तर्ज पर बनने वाले इस ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए चालक का टेस्ट होगा। यहां पूरे नियमों के तहत चालक के कौशल काे परखा जाएगा। सीसीटीवी से हर एंगल पर पूरी नजर रहेगी। सभी कड़ियां सही तरीके से पार करने के बाद ही टेस्ट पास होगा। खास है कि यहां चौपहिया वाहन समेत दो पहिया वाहन के लिए पहले से ही ट्रैक बने होंगे। वाहन चालक को इन ट्रैक सही तरीके और सभी नियमों के अनुसार गुजरनाट्रैक में वाहन के गुजरने के बाद अलग-अलग एंगल में लगे सीसीटीवी खुद ही स्क्रीन पर एमवीआई व अन्य को कैबिन में लाइव फुटेज दिखाएगा। इसी आधार पर निर्णय होगा। इस तरह ड्राइविंग टेस्ट में पारदर्शिता भी आएगी।पर पूरी नजर रहेगी। सभी कड़ियां सही तरीके से पार करने के बाद ही टेस्ट पास होगा। खास है कि यहां चौपहिया वाहन समेत दो पहिया वाहन के लिए पहले से ही ट्रैक बने होंगे। वाहन चालक को इन ट्रैक सही तरीके और सभी नियमों के अनुसार गुजरना होगा।

यह बाधा पार करते ही चालक लाइसेंस के लिए टेस्ट पास कर पाएगा। यह ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक गुणवत्तापूर्ण ड्राइवर तैयार करता है। पारदर्शी तरीके से उपयोगकर्ता के ड्राइविंग कौशल का वास्तविक समय मूल्यांकन होता है। ट्रैक में वाहन के गुजरने के बाद अलग-अलग एंगल में लगे सीसीटीवी खुद ही स्क्रीन पर एमवीआई व अन्य को कैबिन में लाइव फुटेज दिखाएगा। इसी आधार पर निर्णय होगा। इस तरह ड्राइविंग टेस्ट में पारदर्शिता भी आएगी।

जबकि अच्छे कौशल वाले चालक होने पर मानवीय भूल से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। वर्तमान में दिल्ली व चंडीगढ़ समेत बड़े शहरों में ही इस तरह व्यवस्था है। जबकि वर्तमान में स्थानीय स्तर पर किसी मैदान को चुनकर ड्राइविंग टेस्ट करवाए जाते हैं। यहां टेस्ट के दौरान कोन लगाकर अस्थायी ट्रैक बनाया जाता है। जबकि वीडियोग्राफी भी करवाई जाती है। अस्थायी तौर पर कोन लगाने के बाद ही वाहन को भेजा जाता है। इसके लिए बाकायदा वेबसाइट से टोकन लेना होता है।मंडी में ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक को लेकर कवायद चल रही है। इसके लिए जमीन तलाशी जा रही है। इस पर अमूमन 10 से 15 लाख रुपये तक खर्च होने का अनुमान रहता है। बाकि किस तरह यह बनेगा, इस पर भी काफी चीजें निर्भर करेंगी। –