पांवटा साहिब में मनाई डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि
भारत का संविधान लिखने वाले डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि आज,
भारत के संविधान लिखने वाले डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पांवटा साहिब के लोक निर्माण विश्रामगृह में मनाई गई इस अवसर पर पांवटा साहिब के भाजपा मंडल अध्यक्ष रमेश तोमर विधायक सुखराम चौधरी व भाजपा के कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
अपने संबोधन में दीपक मल्हन और महामंत्री हितेंद्र कुमार ने बताया कि डॉ भीमराव अंबेडकर एक बहुत बड़े अर्थशास्त्री, न्यायविद, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे. उन्होंने दलित जाति के लिए काफी काम किया. वे समाज से भेदभाव को खत्म करना चाहते थे. उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन के लिए लोगों को प्रेरित किया और समाज में अछूतों को लेकर हो रहे भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था. उन्होंने हमेशा श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकार के बारे में बात की. उनकी मृत्यु 06 दिसम्बर 1956 को हुई थी. इसलिए इस दिन अंबेडकर जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है और साथ ही इस दिन को महापरिनिर्वाण दिवस भी कहा जाता है.
भीमराव रामजी की शिक्षा
भीमराव रामजी अम्बेडकर बॉम्बे विश्वविद्यालय के एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक करने के बाद, कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया. इसके बाद उन्हें 1927 और 1923 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और 1920 के दशक में किसी भी संस्थान में ऐसा करने वाले कुछ भारतीय छात्रों में से एक थे. उन्होंने ग्रेज़ इन, लंदन में कानून का प्रशिक्षण भी लिया. अपने शुरुआती करियर में, वह एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे. 1990 में, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न, अम्बेडकर को मरणोपरांत प्रदान किया गया।
26 नवंबर, 1949 को संविधान का मसौदा तैयार कियादेश की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू जब आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अंबेडकर को अपने मंत्रिमंडल में कानून मंत्री के रूप में शामिल किया. इसके बाद अंबेडकर ने भारत के लोगों के सामने मसौदा संविधान प्रस्तुत किया, जिसे 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म पर एक किताब ‘बुद्ध और उनका धर्म’ लिखी. हालांकि इस पुस्तक का प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद हुआ. किताब लिखने के बाद 14 अक्टूबर, 1956 को खुद भी बौद्ध धर्म को अपना लिया.
बाईट सुखराम चौधरी विधायक पांवटा